इंदौरमध्य प्रदेश

कम्पनी के लुज DEF की किल्लत से मोटर मालिक परेशान,,,?

इंदौर
संभागीय प्रतिनिधि,BS 6 वाहन  भारत सरकार की मनसा अनुसार पर्यावरण को देखते हुए प्रत्येक कंपनी का मार्केट में विगत वर्षों से आ गया है,अन्य कंपनी द्वारा अपने  स्तर से लूज़  यूरिया की व्यवस्थाएं की गई है, परंतु अशोक लीलैंड कंपनी द्वारा उनके ग्राहकों को बाल्टी में पैक यूरिया  ले जाने का कहा जाता है, लूज युरिया होते हुए भी मशीन खराब है  या अन्य कारण बताकर ग्राहकों को मना कर  दिया जाता है,सेंधवा(गवाड़ी ) वॉर्कशॉप मे बस ऑपरेटर्स  को मना कर दिया गया है, अन्तरप्रांतीय बस  लूज़  यूरिया लेने के लिए जाती  है

 तो कंपनी की  फॉर्मेलिटीज करते करते लगभग आधा घंटा लगता है, ,जबकी शासन द्वारा दो दो मिनिट पर परमिट दिए है, लग्भग् अन्य सभी कम्पनियो ने अपने  वर्कशॉप के बहार लूज़ यूरिया की व्यवस्थाएं की है,अपने ग्राहकों के लिए  जबकी गवाड़ी स्तिथ अशोक लिलेंड कंपनी द्वारा सिर्फ बाल्टी मे यूरिया ले जाने का कहा जाता है, जो कंपनी के ग्राहक/ उपभोक्ताओं का शोषण है,एक और   जहां विश्व स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए कई ठोस कदम समय-समय पर उठाये जातें हैं जिसमें विश्व स्तर पर तन मन धन का प्रयोग हो रहा है।

 कई तरह से आर्थिक नुकसान भी सह कर भी प्रकृति एवं इंसान जीवन को भविष्य के लिए संरक्षित करने का भरसक प्रयास किया जाता रहता है। इसी संदर्भ में आज एक छोटा लेकिन भविष्य के लिए महत्वपूर्ण, विषय के पहलू का एक टापिक आपके समक्ष ध्यानाकर्षण करने का भरसक प्रयास कर रहा हूं।
वर्तमान समय में सभी डीजल इंजन की गाड़ियों में यूरिया का प्रयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। यह बात विश्व स्तर पर मानी जा रही है।

लेकिन इसके प्रयोग के लिए यूरिया परिवहन का सिस्टम को बहुत अधिक चुस्त दुरुस्त करने की आवश्यकता है। देखा जा रहा है। यूरिया के परिवहन में प्लास्टिक बाल्टी का प्रयोग, जहां एक ओर प्लास्टिक थैलियां विश्व स्तर पर समस्या बनी हुई है। लगातार इस पर भी कई सरकार, NGO ,स्वयंम सेवक अपने कठोर प्रयास कर रही है। नदी तालाब नालों में जल थल वायु को प्रदुषित होने से बचाएं जानें का प्रयास किया जाता रहता है।

ऐसे में यूरिया जो हरेक गाड़ी के लिए अतिआवश्यक है के लिए बाल्टी का प्रयोग ना करें। सभी गाड़ी कंपनी को सुनिश्चित करें कि, यूरिया के बड़े व मजबूत टैंक की स्थापना प्वाइंट ताकि, बाल्टी का प्रयोग कम से कम हो ओर यूरिया का ख़र्च बाल्टी पेकिंग की कीमत के कारण गाड़ी मालिक को भुगतना में भी बचत हो, आज कल सभी डीजल गाड़ी में जो कि वर्तमान में कम है, लेकिन भविष्य में सभी हो जाएगी, वर्तमान में ही यूरिया बाल्टी ट्रांसपोर्ट यातायात मालिकों का खपाना सर दर्द बना हुआ है। पहले ही आयल कुलंट ग्रीस की बाल्टी ही बहुत तकलीफ़ पर्यावरण संरक्षण में दे रही थी, जबकि उनकी खपत भी यूरिया से बहुत कम थी, लेकिन उस कम्पेरिजन में यूरिया का उपयोग बहुत ज्यादा है। अतः निवेदन है कि, जनता के साथ सरकार भी इस बात पर पहल करते हुए।

खुला यूरिया गाड़ी मालिक को उपयोग ओर सुविधानुसार उपलब्ध करवाने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी करें। आज ध्यान ना दिया गया तो कल प्राकर्ति के लिए बहुत बड़ी परेशानी बन सकती है उस समय ईलाज भी नामुमकिन हो जाएजहां एक तरफ़ डीज़ल पैट्रोल से होने वाले वायु प्रदुषण को कम करने के लिए, सरकारों NGO द्वारा विश्व स्तर पर सार्वजनिक परिवहन का कार मोटरसाइकिल पर शेयरिंग यात्रा के लिए कई जागरूकता अभियान जनचेतना रैली को प्रोत्साहित कर रही है वहीं, सरकारों को नियम निर्देश जारी कर, आयल,कुलंट, ग्रीस इत्यादि के ड्रम ओर बाल्टी का बेहतर विकल्प रियुज के लिए कानून जिसमें बतौर सजा अर्थ दंड के अतिरिक्त ऐसे सोर्श जो जनता डर से नहीं बल्कि कर्तव्य समझकर भी करे।

ये है माजरा

यूरिया 55/- रूपए ओर बाल्टी 65/- रूपए समय ओर पैसा दोनों तरफ़ से

इनका कहना है,,,,

गाड़ी मालिक का नुक़सान है,जहां, राज्य सरकार द्वारा विभिन्न टैक्सों से गाड़ी मालिक मुश्किल में रहता है, विभिन्न मोटर कंपनियों द्वारा इसकी आड़ में इस तरह गाड़ी मालको का आर्थिक, मानसिक,शोषण कितना उचित है,

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