फिंगर प्रिंट और फेस मैच होने पर ही चलेगी गन
ओनर के अलावा दूसरा कोई फायर नहीं कर पाएगा, कीमत एक लाख रुपए अमेरिकी कंपनी बायोफायर ने स्मार्ट गन बनाई है। इसमें फेस रिकग्निशन फीचर और फिंगरप्रिंट सेंसर लगे हैं। कंपनी का कहना है कि इस गन की मदद से लोग सुरक्षित और बेफिक्र महसूस करेंगे।
गन वॉयलेंस के मामलों में भी कमी आएगी। अमेरिका में पिछले कुछ सालों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां बच्चों ने या किसी शख्स ने गलती से गन फायर कर दिया हो। नई स्मार्ट गन से ऐसी घटनाएं नहीं होंगी। कंपनी के मुताबिक, ये 9े की स्मार्ट हैंडगन फिलहाल 2024 से अमेरिकन मार्केट में उपलब्ध होगी। इसकी कीमत करीब एक लाख 23 हजार रुपए ($1,500) है।
अमेरिका में फल-सब्जी खरीदने जैसा है बंदूक खरीदना
अमेरिका में गन कल्चर का इतिहास करीब 230 साल पुराना है। 1791 में संविधान के दूसरे संशोधन के तहत अमेरिका नागरिकों को हथियार रखने और खरीदने का अधिकार दिया गया। अमेरिका में इस कल्चर की शुरूआत तब हुई थी, जब वहां अंग्रेजों का शासन था। उस समय वहां स्थायी सिक्योरिटी फोर्स नहीं थी, इसीलिए लोगों को अपनी और परिवार की सुरक्षा के लिए हथियार रखने का अधिकार दिया गया, लेकिन अमेरिका का ये कानून आज भी जारी है। अमेरिका में गन कल्चर दुनिया में सबसे ज्यादा कुख्यात है। माना जाता है कि यहां बंदूक खरीदना सब्जी और फल खरीदने जैसा है। अमेरिका में सैकड़ों ऐसे स्टोर, शॉपिंग आउटलेट और छोटी-छोटी दुकानें हैं, जहां बंदूकें बेची जाती हैं।
पूरे अमेरिका में हर वीकेंड पर बंदूकों की प्रदर्शनी लगती है। वहां बंदूकें वॉलमॉर्ट जैसी बड़ी कंपनियों के स्टोर से लेकर छोटी दुकानों पर बिकती हैं। अमेरिका में कोई भी आम आदमी आसानी से बंदूक खरीद सकता है। हथियारों के इस खुले लेन-देन में कोई जांच-पड़ताल नहीं होती। जांच केवल दुकान से बंदूक खरीदने पर ही होती है। बंदूक खरीदते समय खरीदार को एक फॉर्म में नाम, पता, जन्मतिथि और नागरिकता की जानकारी देनी होती है। बंदूक बेचने वाले खरीदार की जानकारी अमेरिकी खुफिया एजेंसी फेडरल ब्यूरो आॅफ इंवेस्टिगेशन यानी ऋइक से साझा करता है, जो बंदूक खरीदार के बैकग्राउंड की जांच करती है।